अमन और शांति का हमसे वह पैगाम हैं मांगते अमन और शांति का हमसे वह पैगाम हैं मांगते
कर रहे हैं वे शहर की इस तरह रखवाली कर रहे हैं वे शहर की इस तरह रखवाली
जो बोलना हो खुल कर बोलो ऐसा तो कोई रिवाज नहीं।। जो बोलना हो खुल कर बोलो ऐसा तो कोई रिवाज नहीं।।
मिटाकर गीले शिकवे बन के भाई आओ भजन करें । सदियो रहे मिलके आगे भी दस्तूर ये ज़िंदा रहे मिटाकर गीले शिकवे बन के भाई आओ भजन करें । सदियो रहे मिलके आगे भी दस्तूर ये ज़...
जात-पात के भर्म को तोड़, एक-एक को गले लगाते चलें । सबको साथ में लेकर यहाँ, कदम से कदम जात-पात के भर्म को तोड़, एक-एक को गले लगाते चलें । सबको साथ में लेकर यहाँ, ...
यूँ सोचता रहा मैं रात भर अमन ये रात क्यों गुज़र जाती नही कभी। यूँ सोचता रहा मैं रात भर अमन ये रात क्यों गुज़र जाती नही कभी।